(१) रात्रंदिवस मी सीमेवर उभा असतो.
देश माझा धर्म असतो.
दुसरे माझे कर्म नाही.
तर मग ओळखा पाहू 'मी आहे कोण ?'
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देश माझा धर्म असतो.
दुसरे माझे कर्म नाही.
तर मग ओळखा पाहू 'मी आहे कोण ?'
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(२) सर्दी खोकला तुम्हा येता ,
तुम्ही माझ्याकडे धावत येता.
मी तुम्हांस बरे करतो.
तर मग ओळखा पाहू , 'मी आहे कोण ? '
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तुम्ही माझ्याकडे धावत येता.
मी तुम्हांस बरे करतो.
तर मग ओळखा पाहू , 'मी आहे कोण ? '
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(३) झुकझुक मी धावत असते
'पों पों मी आवाज करते.
तुम्हा तुमच्या गावा नेते
तर मग ओळखा पाहू , 'मी आहे कोण ?'
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'पों पों मी आवाज करते.
तुम्हा तुमच्या गावा नेते
तर मग ओळखा पाहू , 'मी आहे कोण ?'
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(४) इवले इवले माझे डोळे
इकडून तिकडे माझे पळणे
पाण्यावाचून नाही जीवन माझे
तर मग ओळखा पाहू , 'मी आहे कोण ?
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तर मग ओळखा पाहू , 'मी आहे कोण ?
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(५) तुम्ही दिवसभर कोठे ही जा.
संध्याकाळ झाली की तुम्ही माझ्याकडे येता.
ऊन, पाऊस व वारा यांपासून मी तुमचे रक्षण करतो.*
तर मग ओळखा पाहू , 'मी आहे कोण ?
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(६) पुरूष असून पर्स वापरतो
वेडा नसून कागद फाडतो
असा माणूस कोण ?
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(७) पाणी नाही, पाऊस नाही, तरी रान कसं हिरवं
कात नाहि, चुना नाही, तरी तोंड कसं रंगलं ?
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(८) बत्तीस चिर्यांमधे नागिण फिरे
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(९) खण खण कुदळी, मण मण माती
इंग्रजांनी राज्य घेतले मध्यराती
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(१०) हरीण पळतंय, दूध गळतयं
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(११) एव्हढिशी नार, तिचा पदर फार
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(१२) सुपभर लाह्या, त्यामध्ये रुपया
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(१३) चार आले पाहुणे, चार केले घावणे
प्रत्येकाच्या तोंडात दोन दोन
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(१४) इतकासा गडू पाहुन येते रडू
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(१५) लाल पालखी हिरवा दांडा
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(१६) कोकणातनं आला भट
धर की आपट
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(१७) हिरवी पेटी काट्यात पडली
उघडून पाहिली तर मोत्याने भरली.
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संध्याकाळ झाली की तुम्ही माझ्याकडे येता.
ऊन, पाऊस व वारा यांपासून मी तुमचे रक्षण करतो.*
तर मग ओळखा पाहू , 'मी आहे कोण ?
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(६) पुरूष असून पर्स वापरतो
वेडा नसून कागद फाडतो
असा माणूस कोण ?
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(७) पाणी नाही, पाऊस नाही, तरी रान कसं हिरवं
कात नाहि, चुना नाही, तरी तोंड कसं रंगलं ?
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(८) बत्तीस चिर्यांमधे नागिण फिरे
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(९) खण खण कुदळी, मण मण माती
इंग्रजांनी राज्य घेतले मध्यराती
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(१०) हरीण पळतंय, दूध गळतयं
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(११) एव्हढिशी नार, तिचा पदर फार
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(१२) सुपभर लाह्या, त्यामध्ये रुपया
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(१३) चार आले पाहुणे, चार केले घावणे
प्रत्येकाच्या तोंडात दोन दोन
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(१४) इतकासा गडू पाहुन येते रडू
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(१५) लाल पालखी हिरवा दांडा
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(१६) कोकणातनं आला भट
धर की आपट
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(१७) हिरवी पेटी काट्यात पडली
उघडून पाहिली तर मोत्याने भरली.
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